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हां मुझे भी प्यार हो गया , एक ऐसे शख्स को जो अपनी ही दुनिया में रहता था। हमेशा खुश रहने वाला । जिसको कभी किसी की ज़रुरत महसूस नहीं हुई खुश रहने के लिए। मै उन लोगो में से आता था तो जो प्यार व्यार को बस समय की बर्बादी समझते थे। किसी लकड़ी से तो बात करने का सोचकर ही अजीब का डर लग जाता। और लड़कियां तो दूर की बात लडकों को भी दोस्त बहुत मुश्किल से ही बनाता था। बस अपनी जिंदगी हर किसी के साथ साझा करना नहीं आता था मुझे। बस यही सोचता था कि दोस्ती , प्यार ये रिश्ते अपने आप बन जाते हैं किसी जोर जबरदस्ती, लालच से नहीं । तो जितने दोस्त बने अपने आप बन गए, सबके सब अच्छे। और एक मेरी बहुत गंदी आदत , खुद से बहुत कम दोस्तो से बात करनी , फोन करना, मिलना। पता नहीं बस यही सोचता था कि सच्चे रिश्ते कभी फिके नहीं पड़ते । बहुत चाहा ये आदत बदलना पर अभी भी कोशिश जारी है। दोस्तो की भी यही शिकायत रहती है कि हमेशा हम ही याद करते हैं, पर हां जब भी मेरी ज़रुरत किसी को पड़ी मुझे हमेशा साथ पाया, फिर उन्होंने भी मुझे ऐसे ही स्वीकार कर लिया।
स्कूल के बाद कॉलेज ,कॉलेज में ली मैकेनिकल इंजीनियरिंग । तो यहां लड़कियों का सवाल ही नहीं उठता, अब कोई पूछे भी तो गर्ल फ्रैंड के ना होने का बहाना मिल गया , इससे वो लड़कियों के बात ना करने का डर भी यूं का त्यों बना रहा। पर कहीं ना कहीं चाहता भी नहीं था मैं इन चक्करों में न पड़ू और फिर किस्मत भी ऐसी ही रही । अब कॉलेज के बाद के समय में जिम ज्वाइन कर लिया । समय ही इतना होता था।
समय के साथ साथ बॉडी भी अच्छी हो गई, थोड़ा हैंडसम भी दिखने लगा , दोस्त भी छेड़ते कि गर्ल फ्रैंड बनाने को। पर फिर भी ऐसे ही समय बीतता रहा , यूं सबसे अलग अपने attitude में रहने से कॉन्टैक्ट में सभी लड़के ही बचे। इस बीच कुछ एक दो लकड़ियों ने इंटरेस्ट भी दिखाया पर मैं अलग ही सख्त अपने जिम में खुश। और कहीं ना कहीं मेरी सोच थोड़ी ओल्ड स्कूल वाली , कभी टाइम पास का नहीं सोचा, बस चाहता था कि कभी किसी का दिल ना दुखाऊ। और ना तब पॉकेट मनी मिलती थी ना इतने पैसे होते थे कि इस सबके बारे में सोचा जाए। क्योंकि मेरी एक यह भी सोच रही कि अगर कोई तुम्हारे साथ है तो उसे खुश रखना, टाइम देना , स्पेशल फील कराना तुम्हारी जिम्मेदारी है , इसीलिए भी सबसे दूर रहा।
कॉलेज भी यूं ही बीत गया और मैं वैसे का वैसा ही।
अब समय आया career का सोचने का। जॉब्स ढूंदी, इंजीनियरिंग और वो भी मेकेनिकल से सोने पर सुहागा और जॉब नहीं मिली।
फिर बहुत मुश्किल से एक जॉब मिली, जहां से शुरुआत हुई मेरी नई जिंदगी की।
..…..जारी है...
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